लेखनी प्रतियोगिता -29-Jan-2023" फूल को क्या मालूम "
फूल को ये कहाँ है मालूम
सुबह जब उसको तोड़ा जाएं
किसके द्वार उन्हें ले जाया जाएं
चढ़ेगा मंदिर में प्रभु के चरणों में
या अर्थी पर डाला जाए....!!
फूलों के संग हैं काँटे कितने
पर बात हमेसा फूलों की आये
जिसे भी देखो बच कर निकले
काँटों से कहीं उलझ ना जाएं
फूल तोड़ कर भर ले झोली
कांटे वही दर्द से मर जाएं....!!
रंग बिरंगे फूल देख कर
भंवरा भी उन पर ललचायें
अपने अंदर पलती हसरत को
हर फूल पर ऐसे बैठें के वो
सारी बगियाँ को अपने कदमों में रख ले जाएं....!!
फूल बहुत होते है नाज़ुक
जैसे हृदय की कोमल परते
तोड़ो उनको बहुत सोच समझ कर
टूट के फ़िर वो खिल ना पाएँ
मिट के फ़िर वो अपनी हस्ती से जाएं....!!
अपराजिता.....
वानी
30-Jan-2023 11:18 AM
फूल तो नाजुक है उन्हे मसलो ना अपनी झूठी मोहब्बत के लिए उन्हे तोड़ो ना
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Madhu Gupta "अपराजिता"
30-Jan-2023 01:58 PM
एकदम सही कहा आपने....
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Punam verma
30-Jan-2023 09:15 AM
Very nice
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Madhu Gupta "अपराजिता"
30-Jan-2023 01:59 PM
Thank you😊
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Abhinav ji
30-Jan-2023 08:44 AM
Very nice 👍
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Madhu Gupta "अपराजिता"
30-Jan-2023 01:59 PM
Thank you .... 😊😊
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